निजी जमीन को हड़पने का नगर निगम ने रचा षड्यंत्र । शासन प्रशासन की नहीं चली तो नगर निगम को किया आगे।



 उज्जैन बुधवारिया स्थित करोड़ों रुपए की बेशकीमती जमीन को नगर निगम द्वारा हड़पने  को लेकर भूमि स्वामी अनिल जोशी पिता मुन्नू लाल जोशी ने अपने एडवोकेट अर्पित वर्मा के साथ पत्रकार वार्ता लेकर पत्रकारों से रूबरू होते हुए बताया कि 

1.अनिल जोशी  पिता स्वर्गीय श्री मुन्नूलाल जी जोशी के स्वामित्व एवं आधिपत्य की भूमि सर्वे नंबर 1281/1/1  रकबा 0.964 है.  सर्वे नंबर 1551 रकबा 3 .459 हेक्टेयर  सर्वे नंबर 1553 रकबा 0 .481  सर्वे नंबर 1281/2  बटा दो रकबा 0.105 हेक्टेयर  1281 /3 रकबा 0.0 63 हेक्टेअर व सर्वे नंबर 1281/1/4रकबा 0 .021 हेक्टेयर कुल किता 6 कुल रकबा  5 . 103 हेक्टेयर  कस्बा उज्जैन में स्थित थी ।

2.  धारक  मनमोहन ,अनिल कुमार पुत्रगण  मन्नूलाल   के नाम से नगर भूमि सीमा का प्रकरण 12/6/76-77 पंजीबद्ध हुआ तथा 22/09/1979 को आदेश पारित किया गया परिवार में पांच सदस्यों के लिए 200 आरे के अनुसार 1 .0 0 हेक्टेयर भूमि को पात्रता में छोड़कर शेष भूमि अतिशेष घोषित किया गया ।पात्रता की भूमि 1281/1/आवासीय भूमि  *पूर्व में कृषि भूमि *

1281 /1/2 आवासीय भूमि पूर्व में आवासीय मकान आदि निर्मित 1281 /4आवासीय भूमि हनुमान मंदिर निर्मित केवल 0 .11 हेक्टे.

 *अतिशेष घोषित की गई शेष भूमि*

1281/3 आवासीय भूमि *वाटर वर्क्स वर्तमान में*

 1281/ 4 आवासीय भूमि केवल 0.09 

 1551 व्यवसायिक *पूर्व में कृषि भूमि*

 1555 व्यवसायिक *पूर्व में कृषि भूमि*

 3: आयुक्त नगर पालिका उज्जैन द्वारा 16 / 1/61 को मकान का नक्शा स्वीकृत किया गया ।

4 अनुविभागीय अधिकारी के द्वारा 1281 /1/ 1 का व्यपवर्तन किया गया ।1965 वह पुनः 25/6 /1985तथा प्रत्येक वर्ष शुल्क वसूला गया।

 5. मध्य प्रदेश भू राजस्व संहिता के लागू होने से पूर्व से उपरोक्त भूमियों पर कब्जा एवं आधिपत्य तथा शासकीय रिकॉर्ड में भी भूमि स्वामी एवं आधिपत्य धारी के रूप में नाम दर्ज है वर्ष 1950 51 से वर्तमान तक के खसरा रिकॉर्ड जो प्राप्त हो सके उसमें भी स्वामी में माधवी पति के रूप में अनिल जोशी तथा पूर्व में उनके पिता तथा बड़े भाई का नाम अंकित है वर्तमान के खतरों में स्वामी एवं आधिपत्य धारी के रूप में कृषि के रूप में अनिल जोशी का नाम दर्ज है इसके लिए आयुक्त नगर पालिका निगम के द्वारा वादग्रस्त भूमि को अनिल जोशी के स्वामित्व की मान्य करते हुए अधिग्रहण की सहमति मांगी गई थी।

 नगर निगम प्रत्येक वर्ष भूमि का संपत्ति कर डायवर्टेड भूमि के रूप में प्राप्त कर रही है तथा वर्तमान में बकाया राशि अदा नही करने पर भूमि को कुर्क कर नीलाम करने के संबंध में सूचना प्रेषित किया है।

 8 .पंचनामा दिनांक 17 /5/ 74 के द्वारा तहसीलदार के द्वारा अनिल जोशी  की भूमि की नपती कर भूमि के सीमा चिन्ह लगाए गए थे तथा उसका पंचनामा बनाकर उनके बड़े भाई मनमोहन जोशी  को दिया गया था ।जिसमें उन्हें ही भूमिका स्वामी मान्य किया था तथा उसका ही अधिपति माना था।

 सालों से निरंतर एवं निर्बाध रूप से चले आ रहे स्वामित्व एवम आधिपत्य की पात्रता की भूमि को वर्तमान में हमारा कब्जा मानने के बावजूद पहले तो शासन की बताते हुए कार्यवाही की गई ,

जब शासन की कार्यवाही के विरुद्ध यथास्थिति का आदेश व्यवहार न्यायालय से प्राप्त किया गया तो नगर पालिका निगम उज्जैन के द्वारा नवीन हथ कंडो को अपनाते फर्जी तथा अवैधानिक कार्रवाई करते हुए भूमि को हड़पने का प्रयास किया जा रहा है ।

नगर पालिका निगम उज्जैन के द्वारा जिसका अस्तित्व ही नगर पालिका निगम अधिनियम 1956 के पश्चात हुआ है के द्वारा धारा 115 भू राजस्व संहिता के अंतर्गत स्वयं को वर्ष 1927 के पूर्व से स्वामी बताते हुए उसके बाद के समस्त खसरे नकलो को तथा आदेशों को त्रुटिपूर्ण बताते हुए स्वयं का नाम अंकित करवाने की कार्रवाई की है जबकि वर्ष 1927 में नगर पालिका निगम का अस्तित्व नहीं था और ना ही उनका नाम या उनके स्वामित्व के कोई दस्तावेज है ।इस प्रकार से शासन-प्रशासन नगरपालिका सब मिलकर येन- केन प्रकारेण अनिल जोशी  के स्वामित्व आधिपत्य व पात्रता की भूमि को जिस पर वे अपने पिता के समय से लगभग 70 से 80 वर्ष से अधिक वर्षो से काबीज है पर अवैधानिक रूप से बलपूर्वक अपना नाम अंकित कर अनिल जोशी को अवैधानिक रूप से बेदखल करना चाहते हैं।

 उक्त भूमि के बदले में ना तो कोई राशि दे रहे हैं और ना ही अन्य भूमि ।

शासन-प्रशासन जिस तालाब की बात कर रहा है उसका अनिल जोशी से कोई संबंध नहीं है और ना ही उक्त तालाब अनिल जोशी के आधिपत्य में है,उक्त तालाब के अधिकांश भाग पर विक्रमादित्य मार्केट तथा अवैध कालोनियां बनाई गई है जिसे शासन प्रशासन बचाते हुए नेताओं से सांठगांठ कर उनकी भरपाई अनिल जोशी की भूमि से करना चाहते है जो कि अवैधानिक कृत्य है । अनिल जोशी के पास वर्तमान में केवल यही भूमि हैं जिसे अगर  नगर निगम द्वारा छीन लिया गया तो उनके रहने तथा व्यापार, व्यवसाय आदि की परेशानी उत्पन्न हो जाएगी 

यदि नगर निगम उक्त भूमि को लेना  चाहती है तो पात्रता की भूमि  इन्हें दी जाए। ऐसा नहीं हुआ तो अनिल जोशी के सामने जीविका कि समस्या खड़ी हो जाएगी क्योंकि औषधालय ही उनकी आजीविका का एकमात्र साधन है जो उक्त भूमि पर निर्मित है।

Popular posts
Corteva Agriscience® launches Novlect™ offering rice farmers weed control herbicide with added soil benefits OR Corteva Agriscience® launches Novlect™, bringing farmers a new herbicide to control weed in rice fields The new herbicide provides long-lasting weed control and protects crops throughout the growing season
Image
"मैं अपने किरदार से गहराई से जुड़ा हूं क्योंकि उसी की ही तरह मैं भी कम शब्दों में बहुत कुछ कह देता हूं" ज़ी थिएटर के टेलीप्ले 'तदबीर' में वे एक पूर्व सेना अधिकारी की भूमिका निभा रहे हैं
Image
ORRA expands its brick-and-mortar presence with a new store in Indore India’s leading Diamond jewellery retail chain launches their new store in Indore
मिलिए एंडटीवी के 'हप्पू की उलटन पलटन' की नई दबंग दुल्हनिया 'राजेश' उर्फ ​​गीतांजलि मिश्रा से!
Image
एण्डटीवी की नई प्रस्तुति ‘अटल‘ अटल बिहारी वाजपेयी के बचपन की अनकही कहानियों का होगा विवरण्
Image