जातिवाद और मजबूरियों के बीच में घिरा भीमराव




रामजी (जगन्नाथ निवानगुने) के जीजाबाई (स्नेहा मंगल) के साथ सतारा चले जाने के बाद, भीमराव (आयुध भानुशाली) और उसके भाइयों पर पूरे परिवार की जिम्मेदारी आ जाती है। जीजाबाई रामजी सकपाल और भीम के बीच दरार डालने की कोशिश करती है जिससे इन दोनों के बीच गलतफहमी बढ़ जाती है। भीमराव और उसका परिवार आर्थिक तंगी के साथ-साथ भावनात्मक रूप से भी काफी परेशानियों का सामना कर रहा है। हालांकि, भीमराव हिम्मत के साथ खड़ा होता है और आनंद के साथ नई नौकरी तलाशना शुरू कर देता है। लेकिन बाला बुरी संगत में फंस जाता है और उसे चोरी करने की आदत पड़ जाती है। अपने सिद्धांतों पर चलते हुए, भीमराव बाला को जेल भेजने का मुश्किल और सही निर्णय लेता है। इस बीच, तुलसा बीमार पड़ जाती है, और आनंद एक छोटी सी नौकरी पकड़ लेता है जबकि भीम लगातार काम की तलाश करता है। इसी के साथ, गोरेगांव में जब लोगों को यह पता चलता है कि रामजी एक निचली जाति से हैं, तो लोग उनका अपमान करना शुरू कर देते हैं। उन पर हमले करते हैं और उन्हें अपने समुदाय से बाहर निकाल देते हैं। इस मौजूदा ट्रैक के बारे में बातचीत करते हुए रामजी सकपाल की भूमिका निभा रहे जगन्नाथ निवानगुने ने कहा, भीमराव कई परेशानियों का सामना कर रहा है। उसकी जिंदगी यहां से एक नया मोड़ ले रही है और वह नई राह पर निकल रहा है। अपनी मां के निधन के बाद उसके पिता ने भी उनका परित्याग कर दिया, जिसके बाद अब भीमराव के सामने कड़ी लड़ाई है। उसे भेदभाव और भुखमरी का सामना करना है और उससे लड़ना है, वित्तीय एवं भावनात्मक सदमों से बाहर निकलना है और परिवार को बांधकर रखना है ताकि वह अपने भाई-बहनों को सहयोग दे सके और उनकी शिक्षा जारी रख सके। किसी के भी सहयोग के बिना भीमराव कैसे अपनी जिंदगी के इन हालातों को बदलेंगे और इन गहन चुनौतियों से उभरेंगे?

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