बाबा रामदेव बोले- मानता हूं कि एलोपैथी ने करोड़ों जानें बचाईं, लेकिन आयुर्वेद का सम्मान हो



न्यूज़18 इंडिया से खास बातचीत में बाबा रामदेव ने कहा मैंने उस समय भी अपना बयान वापस लिया और खेद व्यक्त किया. एलोपैथी पर दिए अपने बयान को लेकर डॉक्टरों के निशाने पर आए बाबा रामदेव ने रविवार को कहा कि मैं अपने बयान पर माफी मांग चुका हूं और मैंने एलोपैथी पर दिया बयान वापस भी ले लिया है. इसके साथ ही उन्होंने भारतीय चिकित्सा संघ (IMA) पर पलटवार किया और दावा किया कि 98 प्रतिशत बीमारियों का इलाज आयुर्वेद से संभव है.

 उन्होंने न्यूज18 इंडिया से एक्सक्लूसिव बातचीत में अमिष देवगन से योग और आयुर्वेद की अहमियत पर कहा कि 98 प्रतिशत बीमारियों का इलाज आयुर्वेद से मुमकिन है. रामदेव ने यह भी माना कि एलोपैथी की वजह से करोड़ों लोगों की जिंदगी बचाई गई है, लेकिन आयुर्वेद का भी सम्मान होना चाहिए.

 

रामदेव ने आईएमए को बताया अंग्रेजों का बनाया हुआ एनजीओ

 रामदेव ने कहा कि आयुर्वेद में कई बीमारियों का पक्का इलाज है. उन्होंने एलोपैथ पर निशाना साधते हुए कहा, एलोपैथ में महंगी दवाओं का चक्रव्यूह है, लोगों को लूटा जा रहा है और फार्मा इंडस्ट्री लूट मचाती हैं. इतना ही नहीं उन्होंने देश की शीर्ष चिकित्सा संस्था को अंग्रेजों का बनाया हुआ एक एनजीओ बताया. रामदेव ने कहा, आईएमए अंग्रेजों का बनाया हुआ एक एनजीओ है. आईएमए के अध्यक्ष और महामंत्री बर्खास्त हों. आईएमए कोई कानूनी संस्था नहीं है और ना ही आईएमए के पास कोई रिसर्च सेंटर है. मैंने आईएमए की कोई मानहानि नहीं की, बल्कि मुझे आईएमए पर मानहानि का मुदमा करना चाहिए. उन्होंने कहा कि वे 90 प्रतिशत डॉक्टरों का सम्मान करते हैं, लेकिन कुछ डॉक्टरों ने लूट मचा रखी है.


 रामदेव ने एलोपैथी दवाओं के साथ योग को भी बताया जरूरी 

एलोपैथी पर दिए गए बयान को लेकर बाबा रामदेव ने आईएमए पर राजनीति करने का आरोप लगाया और कहा कि उनका बयान व्हाट्सऐप से मिली एक जानकारी पर आधारित था. उन्होंने कहा, आईएमए के डॉक्टर असभ्यता से बात करते हैं और वे राजनीति पर उतर आए हैं. मेरा बयान आधिकारिक नहीं था. व्हाट्सऐप पर एक जानकारी आई थी, जिसे मैंने सिर्फ साझा किया. रामदेव ने आगे कहा, मेरे मन में किसी के लिए दुराग्रह नहीं है और मैं मानता हूं कि एलोपैथी ने करोड़ों जान बचाईं, लेकिन एलोपैथी में कई रोगों की दवाई नहीं है. हालांकि उन्होंने कहा कि एलोपैथी से घृणा का कोई सवाल नहीं है, पर आयुर्वेद का सम्मान होना चाहिए. उन्होंने एलोपैथी दवाओं के साथ योग को भी जरूरी बताया और कहा कि वैश्विक महामारी कोरोना वायरस से हमें मिलकर लड़ना होगा.

क्या था 

विवाद गौरतलब है कि कोरोना वायरस संक्रमितों के इलाज में इस्तेमाल की जा रहीं कुछ दवाओं पर रामदेव द्वारा सवाल उठाने जाने पर विवाद खड़ा हो गया था. पिछले दिनों सोशल मीडिया पर जारी एक वीडियो में बाबा रामदेव कथित तौर पर एलोपैथी को एक स्टूपिड और दिवालिया साइंस बताते नजर आते हैं. वीडियो में रामदेव को यह कहते हुए सुना जा सकता है कि कोविड-19 के लिए एलोपैथिक दवाएं लेने से लाखों लोग मर गए. उन्हें कोरोना वायरस के इलाज के लिए इस्तेमाल की जा रही कुछ दवाओं पर सवाल उठाते हुए भी सुना जा सकता है.


रामदेव ने IMA को लिखा था खुला पत्र

रामदेव की इन टिप्पणियों का कड़ा विरोध हुआ, जिसके बाद केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्री हर्षवर्धन ने उनसे बेहद दुर्भाग्यपूर्ण बयान वापस लेने को कहा. रामदेव ने रविवार (23 मई) को मजबूर होकर अपना बयान वापस ले लिया. अगले दिन उन्होंने भारतीय चिकित्सा संघ (आईएमए) को खुला पत्र लिखकर 25 सवाल पूछे. उन्होंने पूछा कि क्या एलोपैथी से बीमारियों से स्थायी रूप से छुटकारा मिल जाता है.

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