दिनेश छाबड़ा,चीफ एक्‍जीक्‍यूटिव ऑफीसर, ऊषा इंटरनेशनल "विशेषकर तीसरी लहर की शुरुआत को देखते हुए, इस साल के केंद्रीय बजट से आर्थिक रिकवरी के लिए मंच तैयार किए जाने की उम्मीद है।


 

पिछले दो सालों के दौरान दुनिया युगांतकारी बदलाव के दौर से गुजरी है और इसकी वजह कोविड-19 रही, जिसने हमारे जीवन में एक ऐसी घटना की शुरुआत की जो पहले कभी नहीं देखी गई थी। उतार-चढ़ाव के बावजूद कंज्यूमर ड्यूरेबल्स उद्योग एक ऐसा उद्योग है जो मजबूती से वापसी करने में सफल रहा है और लगातार स्थिरता से आगे बढ़ रहा है।


जैसा कि सबको पता है कि पिछले एक साल से ज्‍यादा समय से शुरू हुई कच्चे माल की कीमतों में असामान्य वृद्धि ने राजस्व पूर्वानुमानों को प्रभावित किया है और यह कंपनियों के लिए अभी भी एक गंभीर चुनौती बनी हुई है। इसके अलावा, आपूर्ति-श्रृंखला लॉजिस्टिक्स के मुद्दे भी व्यवसायों के लिए बोझ बढ़ा रहे हैं। बढ़ी हुई कीमतों का एक हिस्‍सा उपभोक्ताओं पर डाले बिना, ब्रांड्स के लिए अपने गुणवत्तापूर्ण कारोबार को आगे बढ़ाना  अव्यावहरिक हो जाता है। कीमतों में यह वृद्धि उपभोक्ता खर्च को प्रभावित कर रही है और हमारी अर्थव्यवस्था की रिकवरी और विकास पर प्रतिकूल प्रभाव डाल रही है। समय की मांग है कि सरकार हस्तक्षेप करे और इस साल के केंद्रीय बजट में कुछ नीतियां लागू करे, जो कच्चे माल, ईंधन की लागत को तार्किक बनाने और आपूर्ति-श्रृंखला को सुचारू बनाने में मदद करेगी।


इसके अलावा, जैसे-जैसे डिजिटलीकरण को अपनाने और बदलाव में तेजी आती है, भौगोलिक क्षेत्रों में ग्रामीण-शहरी विभाजन का अंतर भरने के लिए इंटरनेट के बुनियादी ढांचे और कनेक्टिविटी में सुधार के लिए आवंटन में वृद्धि की आवश्यकता है।


हमें उम्मीद है कि आगामी केंद्रीय बजट का उद्देश्य आर्थिक सुधारों में तेजी लाना, उद्यमिता को बढ़ावा देना और प्रोत्साहन पैकेज प्रदान करना होगा, जो सभी क्षेत्रों में उपभोक्ता की मांग को पूरा करने में मदद करेगा।”