रायपुर: सुरगुजा जिला कलेक्टर के सामने राजस्थान की परसा खदान के समर्थन में प्रदर्शन के बाद अब वे राजधानी रायपुर पहुंचकर मुख्यमंत्री भूपेश बघेल, उनके मंत्रीगण और राज्यपाल अनुसुइया उइके के सामने अपनी मांग रखने की योजना बना रहे है। पिछले सप्ताह पीईकेबी खदान के दूसरे चरण को राज्य सरकार की अनुमति के बाद सुरगुजा के ग्रामीणों को आशा है की उनके क्षेत्र में परसा खदान जल्द शुरू होनी चाहिए जिससे की उन्हें रोजगार के अवसर मिल सके।
यह उल्लेखनीय है की खदाने शुरू होने में देरी के कारण रोजगार की अनुपस्थिति में जमीन देने वाले ग्रामीण अक्सर मुआवजे की राशि को खर्च करने पर मजबूर हो जाते है और उनका भविष्य अनिश्चित हो जाता है। इसके अलावा खदान कम्पनिया भी सामाजिक उत्तरदायित्व की आर्थिक और महिला सशक्तिकरण या शैक्षणिक और कौशल विकास की योजनाएँ समय से शुरू कर नहीं पाती।
ग्राम परसा की निवासी श्रीमती वीणा ने कहा कि," हम यहाँ परसा कोल् ब्लॉक खुलवाने के समर्थन के लिए कलेक्टर से मिलने आये थे। जैसे पास ही में पीईकेबी खदान से सभी को रोज़गार मिला और हमारे बच्चों को अच्छी शिक्षा मिल रही है। क्षेत्र में खदानों का काम बढ़ने से गाँव के महिलाओं और पुरुषो को रोजगार शिक्षा और स्वास्थ्य सेवाओं को विस्तार होगा।"
मंगलवार को करीब 1500 स्थानीय ग्रामीण सुरगुजा जिला कलेक्टर संजीव कुमार झा को परसा खदान जल्द से जल्द शुरू करवाने के लिए अनुरोध करने पहुंचे। उन्होंने अपने पहचान पत्र दिखाकर बताया की रायपुर स्थित कुछ बाहरी तत्त्व स्थानीय ग्रामीणों को अपने निजी स्वार्थ के लिए उनको, सरकार और पत्रकारों को प्रायोजित प्रदर्शन द्वारा गुमराह कर रहे है। कलेक्टर झा ने ग्रामीणों की बात को सरकार तक पहुँचाने का भरोसा दिलाते हुए कहा की उन्हें मुठीभर गुमराह हुए लोगो से बातचीत कर उन्हें समझाने की सलाह दी ताकि गाँवों में सौहार्दपूर्ण वातावरण बना रहे। प्रदर्शनकारियो ने यह भी दावा किया की कहे जाने वाले कार्यकर्ता अलोक शुक्ला ने कुछ स्थानिक असामाजिक तत्वों के साथ मिलकर खदान को एक राजकीय मुद्दा बनाकर राजस्थान के लोगो को भी सस्ती बिजली से वंचित रखने का षड़यंत्र किया है।
पिछले सप्ताह इन स्थानीय ग्रामीणों ने राज्यपाल महोदया उइके के अंबिकापुर दौरे के दौरान उन्हें भी खदान ना खुलने से होने वाली तकलीफों के बारे में अवगत कराया था। स्थानीय लोग अब परसा खदान की मांग को लेकर अपनी आवाज बुलंद करने का आयोजन कर रहे है। इसके चलते परसा, घाटबर्रा, फत्तेपुर, जनार्दनपुर, साल्हि, इत्यादि गाँव के अग्रणी कलेक्टर को ज्ञापन देकर सफल रैली के बाद फिर से अंबिकापुर के महामाया मंदिर में आगे की रणनीति तय करने के लिए मिले। मौजूद ग्रामीणों ने निर्णय किया है की उनका प्रदर्शन परसा खदान शुरू न होने तक चलता रहेगा।
"मेरे ग्राम में पहले से जो खदान चल रहा है उसके लिए धन्यवाद करता हूँ और जो परसा कोल ब्लॉक परियोजना के रुके हुए काम है उसको जल्द से खोलने के लिए मैं छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री से अनुग्रह करता हूँ की वो जल्द से जल्द इसे खोलें जिससे हमारे ग्राम के बेरोजगार युवाओं को रोजगार मिले और हमारे ग्राम में जो विकास की गंगा बह रही है वो आगे भी बहती रहे। हम यहां इसके समर्थन में आये हैं|" ग्राम परसा के ही दिनेश कुमार ने कहा।
सरगुजा जिले में राजस्थान राज्य विद्युत उत्पादन निगम लिमिटेड (आरआरवीयूएनएल) की ताप विद्युत परियोजनाओं के लिए तीन कोल ब्लॉक परसा ईस्ट केते बासेन (पीईकेबी), परसा और केते एक्सटेंशन केंद्र सरकार द्वारा कई साल पहले आवंटित किया गए थे। अभी पीईकेबी ब्लॉक में खनन का कार्य चल रहा है। राजस्थान और छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्रीओ की रायपुर में मुलाकात के बाद पीईकेबी ब्लॉक के दूसरे चरण के लिए बघेल सरकार से अनुमति भी मिल गयी है लेकिन शेष दो ब्लॉकों के लिए शासन को निर्णय लेना अभी बाकी है। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को छत्तीसगढ़ मुख्यमंत्री भूपेश बघेलने जल्द ही आरआरवीयूएनएल की खदान परियोजनाओं को नियमानुसार मंजूर करने का आश्वासन दिया था और अब उनको स्थानीय लोगो का भी बढ़चढ़कर समर्थन मिल रहा है। ऐसेमें राजस्थान को भी अपनी करीब 4000 MW से ज्यादा कोयला आधारित इकाईयां चलाने के लिए कोयला मिल सकेगा। हाल ही में केंद्र सरकार द्वारा परसा खदान के लिए राजस्थान सरकार को जरुरी अनुमति मिल गयी है और बघेल सरकार की अनुमति लंबित है। राजस्थान में करीब 4000 MW से भी ज्यादा इकाईयां छत्तीसगढ़ के कोयला पर आधारित है। छत्तीगसढ़ देश का सबसे बड़ा कोयला उत्पादन करने वाला राज्य है जहां खदान कार्य से मिलते राजस्व से सरकार राज्य की प्रजा के लिए कल्याणकारी योजनाएँ चला सकती है।