प्रदेश सरकार के तुगलकी फरमान से हुए किसानों के सपने चकनाचूर।


प्रदेश के किसानों की सांसत में जान।
उज्जैन कोरोना वायरस संक्रमण से फैली वैश्विक महामारी से देश प्रदेश में कोई अछूता नहीं रहा । चाहे आमजन हो या किसान।
पहले से ही आर्थिक संकट का दंश झेल रहे किसानों के सामने महामारी ने बड़ी मुसीबत खड़ी कर दी है ।भले ही इस वर्ष पैदावार बंपर हुई है ,मगर कोरोनावायरस के संक्रमण के चलते जारी लोग डाउन कर्फ्यू ने किसानों के सारे सपने चकनाचूर कर दिए वहीं किसानों की कमर तोड़ दी है ।कृषि क्षेत्र की सेहत का असर सीधा अर्थव्यवस्था पर पड़ता है ,क्योंकि देश की आधी से अधिक आबादी की जीविका कृषि पर ही आधारित है ।संकट की इस घड़ी में किसान दो लड़ाई एक साथ लड़ रहा है ,ऐसे में किसानों की स्थिति सुधारने की बजाय प्रदेश के मुखिया शिवराज सिंह चौहान के तुगलकी फरमान ने मालवा की इस कहावत को चरितार्थ कर दिया कि *बाप का मरना और अकाल का पढ़ना* किसान कांग्रेस के पूर्व जिलाध्यक्ष श्री विजय सिंह गौतम ने चर्चा के दौरान कहा कि कोरोना वायरस एक वैश्विक महामारी है जिसकी चपेट में 210 देश अमेरिका, रूस, इटली ,बेल्जियम ,स्पेन यहां तक कि इस संक्रमण के जनक चाइना भी जहां से इसकी शुरुआत हुई वह भी इससे अछूता नहीं रहा है ,देखने में यह आता है कि इस संक्रमण के चलते शहरी क्षेत्र जहां लॉक डाउन जारी है वहीं ग्रामीण क्षेत्रों में भी हम लोग इसका पालन सोशल डिस्टेंस  रखते हुए  कर रहे हैं । पूर्व में हम लोगों से रूबरू मिलते थे ,किंतु इस महामारी के चलते अब उनसे फोन पर ही संपर्क  कर उनकी समस्याओं का  समाधान किया जाता है घटिया तहसील में जरूरतमंद दिहाड़ी मजदूरों को राशन उपलब्ध कराने के साथ ही आर्थिक मदद भी की जा रही है। किसानों की समस्या को लेकर उनका कहना है कि शिवराज सिंह चौहान द्वारा घोषित नीतियां जन कल्याणकारी व लोक कल्याणकारी योजनाओं के विपरीत है । क्योंकि  मुख्यमंत्री जी का कहना है कि तीन किसान ही सोसाइटी में अपनी फसल लेकर आए तथा जो माल सोसाइटी में तोला जाएगा उसकी राशि में से किसान के पूर्व के बकाया ऋण को काटा जाएगा और शेष राशि ई किसान को दी जाएगी । यह सरासर अन्याय पूर्ण है ।जिसका में घोर विरोध करता हूं और मेरा सरकार से कहना है कि किसान अपना कर्ज चुकाएंगे मगर संकट के इस दौर में यह संभव नहीं है ।अतः इस आदेश को तुरंत वापस लेकर किसान के हितार्थ निर्णय लें।